Monday, June 27, 2016

निर्भीक लेखनी को सलाम 27-6-16

निर्भीक लेखनी को सलाम
आजमगढ़ जहा लोग भूख का भूगोल और विद्रोह का इतिहास पढ़ते है -
---- बाबू गुजेशवरी प्रसाद
मैं 1982 में रैदोपुर कालोनी में रहने लगा था मेरा सौभाग्य था कि बिलकुल मेरे बगल में समाजवादी चिन्तक व विचारक बड़े भाई श्री विनोद श्रीवास्तव जी के यहाँ राष्ट्रीय फलक पर सिद्दांतो पर दृढ रहने वाले प्रखर समाजवादियो का आना जाना लगा रहता था |
डा लोहिया के अनन्य मित्र किशन पटनायक , प्रखर समाजवादी नेता मोहन सिंह , स्वतंत्रता सेनानी ,समाजवादी विचारक विष्णु देव गुप्ता जी पूर्वांचल के गांधी बाबू विश्राम राय , समाजवादी नेता रामसुंदर पाण्डेय , युवा तुर्क और तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को आपातकाल में चुनौती देने वाले रामधन जी , इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता को नया आयाम देने वाले सुरेन्द्र प्रताप सिंह , जिले के सर्वमान्य अध्यक्ष जी श्री त्रिपुरारी पूजन प्रताप सिंह ( उर्फ़ बच्चा बाबू ) अन्तराष्ट्रीय समाजवादी नेता व् चिन्तक जार्ज फर्नाडिस व देश के समाजवादियो के एक मात्र दादा देवव्रत मजुमदार जिनको कहा जाता था कि वो स्वंय में एक राजनैतिक संस्था थे |
काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष मोहन प्रकाश पूर्व विधयाक जगदीश लाल , पूर्व सांसद हर्षवर्धन , पत्रकार से नेता बने योगेन्द्र यादव पूर्व सांसद और पूना के मेयर रहे भाई वैद्य , बडौदा डाइनामाईट केस के अभियुक्त व श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव ,आजादी बचाव आन्दोलन के नेता रामधीरज जी के साथ ही जार्ज फर्नाडिस के अनन्य सहयोगी व परम मित्र समाजवादी चिन्तक - विचारक विजय नरायण जी के साथ ही बाबू गुजेशवरी प्रसाद का आना - जाना लगा रहता था | विनोद भाई के करीबी होने के नाते हम लोगो को सौभाग्यवश इन महान चिंतको का सानिध्य प्राप्त हुआ |
1984 में बाबू गुजेशवरी प्रसाद जी जो मधुलिमये और लोहिया जी के सानिध्य में कार्य कर चुके थे उन्होंने उस समय की पत्रिका दिनमान के लिए
आजमगढ़ की गौरवशाली परम्परा को रेखांकित करते हुए एक क्रांतिकारी लेख लिखा जिसका शीर्षक था '' आजमगढ़ जहा लोग भूख का भूगोल और विद्रोह का इतिहास पढ़ते है '' उसी समय मैंने आज़मगढ़ में प्रेस छायाकार के रूप में पत्रकारिता में अपना कैरियर शुरू किया था | मुझे उनके साथ 15 दिनों तक अविभाजित आजमगढ़ के ग्रामीण अंचलो को देखने व समझने का मौका मिला | गुजेशवरी बाबू का वह लेख सारे देश में चर्चा का विषय बना |
आज सुबह यह जानकारी मिली की पत्रकारिता के शिखर पुरुष गुजेशवरीबाबु का महाप्रयाण हो गया मन व्यथित और उदिग्न गया वे हम सब के प्रेरक व सम्बल थे |एक सप्ताह उनके साथ मऊ , बलिया आदि स्थानों पे घुमने का अवसर प्राप्त हुआ वैसे यह कहा जा सकता है कि वही से मेरे पत्रकारिता के जीवन की शुरुआत हुई | उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र के तरफ से विनम्र श्रद्धाञ्जलि --

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