Wednesday, October 7, 2015

अपना शहर --- VOL 2== 7-10--15


अपना शहर ---
मगरुवा ------
सुबह मगरुवा ने जब डेरा छोड़ा वही उसके दिमाग में आया की आज चलते वही सिधारी के पुराने खंडहरो के बीच वह चुस्की मारूंगा उसके पैर उस तरफ मुड गये घूमते हुए करीब १२ बजे दुपहरिया मगरुवा उहा पहुचता है सामने देखता है उसके कुछ साथी चिलम की चोट मार रहे है , आपस में बात भी कर रहे है अचानक गबरू की नजर मगरुवा पर पड़ती है वो बोल पड़ता है छोड़ा इ सब बात मगरू भिया आ गयेंन बाड़े अब कुछ नया खबर मिली इनसे गबरू सलाम करता है मगरुवा को मगरू भईया राम - राम जी मगर मगरुवा के दिमाग में उथल पुथल चल रहा था की देश कहा जात बा सोचते हुए मगरुवा बोल पड़ता है सब गडबड झाला बा यार छोड़ उ कुल बात तू बता गबरू का करत बाड़े यह समय गबरू उलझी साँसों को दम के साथ बहार निकल कर बोलता है का बताई मगरू भाई एकर बहिन ................ जाएके रहनी लुधियाना कमाए के घरवा में भयवा सारा मार कईले बा पट्टीदारन से अबी त थाना - कचहरी दौड्त बानी सोचत बानी मगरू भैया की जमानत करके उहोके लुधियाना ले जाई कम से कम घरवा वाले सकूं से रह लीहे | मगरुवा अपने बारी आने पर चिलम की चार चुस्की मारकर निकल लेता है बिना जबाब दिए रैदोपुर क्जलोनी की तरफ
चौराहे से देखता है त्रिलोकी चाय वाले की दूकान की तरफ उसे किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड इम्तेयाज नजर आते है वो उनके नजदीक चला आता है और पूछ बैठता है का नेता देश अउर शहर में इतना कुछ घटत बा तू लोगन चुप हऊवा का नेता अब ट नेता लोगन सबके अलग - अलग खेमा में बाट देहले हउये देखा ट केहू के बसपा बा केहू के सपा बा केहू लोगन के भजपा बा अब आम अदमी के लड़ाई खातिर कउनौ पार्टी ना बा अब बच गइला अप लोगन लाल झंडा वाले लोगन ट लड्त रहनी अब का भयल अब लड़ाई कहे धीमी हो गइल बा चली नेता इ ट लम्बी बहस हो जाई इ अप लका हमार पर्चा ए३के पढ़ा अउर जबाब दा कामरेड इम्येताज ने मुस्कुइराते हुए बोला लो मगरू तुम्हारे सवालों का जबाब
कामरेड इम्तेयाज --
1991 से देश में आवारा पूजी डब्लू टी ओ ( डंकल प्रस्ताव 0 के माध्यम से जो देश में जो बड़े पैमाने पर उदारीकरण – उधारीकरण के नारे के अंतर्गत इस देश में नई औद्योगिक नीति जो आई उसी के साथ ही उसी दौर में इलेक्ट्रानिक मीडिया (संचार नीतियों के अंतर्गत ) इस देश में लायी गयी इन दोनों ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नीतियों के चलते इन नीतियों ने सबसे पहले शिक्षा को भ्रष्ट्र किया , शिक्षा का निजीकरण किया | जिसके चलते उस दौर का पैदा हुआ नौजवान बड़े पैमाने पर दिशावीहिन हुआ | हिक्षा , स्वास्थ्य और भोजन यह बाजार के हवाले कर दिया इस देश पर शासन करने वाली सरकारों ने – इससे बड़े पैमाने पर देश में आवारा पूजी पैदा हुई और जब आवारा पूजी समाज के हर हिस्से को प्रभावित करने लगी तो आम आदमी ( माल ) हो गया जब आदमी माल हो गया तो आवारा पूजी उनको खरीदने और बेचने लगी |
देश में स्थापित मूल्य प्राय समाप्ति की ओर बढने लगी है और उन मूल्यों को स्थापित करने वाली संस्थाए या तो समाप्त होने के कगार पर है या वो हाशिये पे है | इन आवारा पूजी के चलते समाज में नए – नए आधुनिक केंद्र स्थापित होने लगे जिसके कारण समाज में स्थापित मानवीय मूल्य समाप्त हो गया | समाज का पूरा मूल्याकन और समाज का सारा माप दंड यही पूजी तय करने लगी | इसलिए डाक्टर से लेकर अध्यापक मजदुर से ;लेकर नेता इससे बड़ा हिस्सा भारत में स्थापित समाजिक रास्ते को भूल कर पश्चिमी माडल को अपनाने लगा , इसलिए हमारे देश में स्थापित मूल्य तार – तार होता जा रहा है | सामाजिक और पारिवारिक संस्कार समाप्त होने की कगार पर पहुच चुके है उसका एक उदाहरण देश का पढ़ा लिखा नौजवान 18 से लेकर 35 साल का अपनी बूढी माँ से सुबह बेड टी माँगता है जबकि यह हमारे देश के मूल्यों के विपरीत है देश में पैदा हुए आवारा पूजी के चलते हमारे देश की राजनीति और अर्थ दोनों ही इन आवारा पूजी के हाथो में चला गया जिसके चलते आज देश की चुनी हुई संस्थाओं में कौन आदमी क्या रात को खा कर सोया है इसकी जांच भीड़ कर रही है |
और अगर उसके मनमाफिक भोजन नही किया है तो उसका कत्ल कर दे रही है ,और आवारा पूजी पूरे देश में कौन भोजन किया जाए कौन सा ना किया जाए अब ये वो लोग तय करने की कोशिश कर रहे है |
उन लोगो को स्वंय ही पता नही की कौन सा भोजन करना चाहिए एक किवदन्ती मुझको याद आ रही है जो बचपन में हम लोगो के गाँव में कही जाती थी ‘ ''एक दिन कलजुग आयेगा हँस चुगेगा दाना - कौवा मोती खायेगा ''; वही आज देश में शिक्षा – स्वास्थ्य भोजन और राजनीति में यही लाइने चरितार्थ हो रही है | यह जो इलेक्ट्रानिक मीडिया आवारा पूजी लाकर श्रम सिस्टम को तोडा जनता के बड़े हिस्से सबसे निचले चुल्हा के घर में इलेक्ट्रानिक मिडिया ने घुस पैठ कर ली पूजी को उस चूल्हे में भी प्रवेश करा दिया जहा औरत अपने बच्चे को खाना पकाने के साथ अपने छोटे दुधी मुह बच्चे स्तन- पान कराती थी वही अब आवारा पूजी ने दूध पिलाना भी बंद करा दिया और आज स्थिति यह हो गई मार्केट के बंद बोतल का दूध यह बच्चे पीते है ह, जिसके चलते अपने देश के ताने बाने को छिन्न भिन्न कर दिया जिसके चलते गलत कामो के प्रतिरोध की क्षमता समाप्त होने की तरफ बढ़ रही है |
इसलिए कियह आवारा पूजी का दूध पी रहे है अपनी माँ का दूध नही पी रहे है | यही कारण है कि लोग लुट की सहभागिता की तरफ बढ़ रहे है या समझौता कर लिए है इसीलिए नर्सिंग होम जो अपने शहर में है वह पर लाश से पैसे वसूले जा रहे हो चाहे खाने के नाम पर होटल से लेकर राशन की दुकानों पर जहर खिलाया जा रहा है चाहे हैण्ड पम्प में गंदे नाले का पानी पीकर उसको सहर्ष स्वीकार कर रहे है उनके खून में आवारा पूजी का नशा घुल मिल गया है अपने शहर में फिर कुछ लोगो को इस आवारा पूजी और इससे हुए गठजोड़ के खिलाफ संघर्ष को कम ही सही लेकिन इससे लड़ने के लिए आगे आना होगा | आज स्थिति वही बकन गयी है भगत सिंह के फाँसी के बाद पूरा देश स्तब्ध था एक खामोशी थी तब साहिर ने यह नज्म लिखा था आज फिर साहिर के इस नज्म की जरूरत है
रात के राही थक मत जाना
सुबह की मंजिल दूर नही
ढलता सूरज मजबूर सही
उगता सूरज मजबूर नही
लूट की दौलत पर कब तक
पहरा देगी जंग लगी ये शमशीरे
टूटेगी बोझिल जंजीरे
रात के राही तक मत जाना

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