Thursday, February 26, 2015

अंहकार ---- 27-2-15

अंहकार ----


एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था | एक बार किसान की पूरी फसल चौपट हो गयी | फलत: वह मेहनत - मजदूरी की तलाश में शहर चला गया | शहर से कुछ कमाई करने के बाद जब वह गाँव लौट रहा था उसे रास्ते में एक ऊँटनी और उसका छोटा बच्चा  नजर आया | किसान उन्हें अपने घर ले आया | कुछ दिन बाद एक कलाकार ग्रामीण जीवन के चित्रं हेतु उसी गाँव में आया | पेंटिंग्स के ब्रश बनाने के लिए वह किसान के घर आकर ऊँट के बच्चे की दुम के बाल ले जाता | इधर ऊँटनी खूब दूध देने लगी तो किसान उसका दूध बेचने लगा | एक दिन वही कलाकार गाँव लौटा और किसान को काफी सारे पैसे दे गया , कयोकी उसके चित्र अच्छी कीमतों में बीके थे | किसान को लगा कि जबसे ऊँटनी और उसका बच्चा उसकी जिन्दगी में आये है , उसकी किस्मत सवर गयी है | उसने एक सुन्दर - सी घंटी लाकर ऊँट के बच्चे के गले में पहना  दी | किसान ने कुछ और ऊँट भी पाल लिए | किसान इन ऊँटो को चरने के लिए दिन में छोड़ देता और वे शाम तक जंगल में पत्ते वगैरह चरकर वापस आते | ऊँट का बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो वह भी बाहर चरने जाने लगा | लेकिन वह खुद को सबसे ख़ास समझता और ऊँटो की टोली से प्राय: दूर - दूर ही चलता | उसके एक साथी ऊँट ने उससे कहा भी | ' तुम हमसे दूर - दूर क्यों रहते हो ? हम सब साथ मिलकर चले तो कितना अच्छा रहे | इस पर वह घंटीधारी  ऊँट अकड़ते हुए बोला -- क्या तुम जानते नही कि मैं मालिक का सबसे दुलारा ऊँट हूँ ? मैं अपने से ओछे ऊँटो में शामिल होकर अपना मान  नही खोना चाहता | उसी इलाके में वन में एक शेर रहता था , जो इन ऊँटो की टोली को जंगल में आते - जाते देखता रहता था | वह ऊँटो के झुण्ड पर तो आक्रमण नही कर सकता था , लेकिन जब उसने घंटीधारी ऊँट को अकेले चलते हुए देखा तो उसकी बाछे खिल उठी | दूसरे दिन जब ऊँटो का दल चरकर लौट रहा था , तो घात लगाये बैठा शेर घंटी की आवाज को निशाना बनाकर दौड़ा और उस  अकेले ऊँट को मारकर जंगल में खीच ले गया | इस तरह उस घंटीधारी ऊँट को अपने अंहकार की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पडा | जो स्वंय को सबसे श्रेष्ठ और दुसरो को हीन समझता है , उसका अहंकार शीघ्रः  ही उसे ले डूबता है |

1 comment:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (28-02-2015) को "फाग वेदना..." (चर्चा अंक-1903) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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