अंहकार ----
एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था | एक बार किसान की पूरी फसल चौपट हो गयी | फलत: वह मेहनत - मजदूरी की तलाश में शहर चला गया | शहर से कुछ कमाई करने के बाद जब वह गाँव लौट रहा था उसे रास्ते में एक ऊँटनी और उसका छोटा बच्चा नजर आया | किसान उन्हें अपने घर ले आया | कुछ दिन बाद एक कलाकार ग्रामीण जीवन के चित्रं हेतु उसी गाँव में आया | पेंटिंग्स के ब्रश बनाने के लिए वह किसान के घर आकर ऊँट के बच्चे की दुम के बाल ले जाता | इधर ऊँटनी खूब दूध देने लगी तो किसान उसका दूध बेचने लगा | एक दिन वही कलाकार गाँव लौटा और किसान को काफी सारे पैसे दे गया , कयोकी उसके चित्र अच्छी कीमतों में बीके थे | किसान को लगा कि जबसे ऊँटनी और उसका बच्चा उसकी जिन्दगी में आये है , उसकी किस्मत सवर गयी है | उसने एक सुन्दर - सी घंटी लाकर ऊँट के बच्चे के गले में पहना दी | किसान ने कुछ और ऊँट भी पाल लिए | किसान इन ऊँटो को चरने के लिए दिन में छोड़ देता और वे शाम तक जंगल में पत्ते वगैरह चरकर वापस आते | ऊँट का बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो वह भी बाहर चरने जाने लगा | लेकिन वह खुद को सबसे ख़ास समझता और ऊँटो की टोली से प्राय: दूर - दूर ही चलता | उसके एक साथी ऊँट ने उससे कहा भी | ' तुम हमसे दूर - दूर क्यों रहते हो ? हम सब साथ मिलकर चले तो कितना अच्छा रहे | इस पर वह घंटीधारी ऊँट अकड़ते हुए बोला -- क्या तुम जानते नही कि मैं मालिक का सबसे दुलारा ऊँट हूँ ? मैं अपने से ओछे ऊँटो में शामिल होकर अपना मान नही खोना चाहता | उसी इलाके में वन में एक शेर रहता था , जो इन ऊँटो की टोली को जंगल में आते - जाते देखता रहता था | वह ऊँटो के झुण्ड पर तो आक्रमण नही कर सकता था , लेकिन जब उसने घंटीधारी ऊँट को अकेले चलते हुए देखा तो उसकी बाछे खिल उठी | दूसरे दिन जब ऊँटो का दल चरकर लौट रहा था , तो घात लगाये बैठा शेर घंटी की आवाज को निशाना बनाकर दौड़ा और उस अकेले ऊँट को मारकर जंगल में खीच ले गया | इस तरह उस घंटीधारी ऊँट को अपने अंहकार की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पडा | जो स्वंय को सबसे श्रेष्ठ और दुसरो को हीन समझता है , उसका अहंकार शीघ्रः ही उसे ले डूबता है |
एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था | एक बार किसान की पूरी फसल चौपट हो गयी | फलत: वह मेहनत - मजदूरी की तलाश में शहर चला गया | शहर से कुछ कमाई करने के बाद जब वह गाँव लौट रहा था उसे रास्ते में एक ऊँटनी और उसका छोटा बच्चा नजर आया | किसान उन्हें अपने घर ले आया | कुछ दिन बाद एक कलाकार ग्रामीण जीवन के चित्रं हेतु उसी गाँव में आया | पेंटिंग्स के ब्रश बनाने के लिए वह किसान के घर आकर ऊँट के बच्चे की दुम के बाल ले जाता | इधर ऊँटनी खूब दूध देने लगी तो किसान उसका दूध बेचने लगा | एक दिन वही कलाकार गाँव लौटा और किसान को काफी सारे पैसे दे गया , कयोकी उसके चित्र अच्छी कीमतों में बीके थे | किसान को लगा कि जबसे ऊँटनी और उसका बच्चा उसकी जिन्दगी में आये है , उसकी किस्मत सवर गयी है | उसने एक सुन्दर - सी घंटी लाकर ऊँट के बच्चे के गले में पहना दी | किसान ने कुछ और ऊँट भी पाल लिए | किसान इन ऊँटो को चरने के लिए दिन में छोड़ देता और वे शाम तक जंगल में पत्ते वगैरह चरकर वापस आते | ऊँट का बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो वह भी बाहर चरने जाने लगा | लेकिन वह खुद को सबसे ख़ास समझता और ऊँटो की टोली से प्राय: दूर - दूर ही चलता | उसके एक साथी ऊँट ने उससे कहा भी | ' तुम हमसे दूर - दूर क्यों रहते हो ? हम सब साथ मिलकर चले तो कितना अच्छा रहे | इस पर वह घंटीधारी ऊँट अकड़ते हुए बोला -- क्या तुम जानते नही कि मैं मालिक का सबसे दुलारा ऊँट हूँ ? मैं अपने से ओछे ऊँटो में शामिल होकर अपना मान नही खोना चाहता | उसी इलाके में वन में एक शेर रहता था , जो इन ऊँटो की टोली को जंगल में आते - जाते देखता रहता था | वह ऊँटो के झुण्ड पर तो आक्रमण नही कर सकता था , लेकिन जब उसने घंटीधारी ऊँट को अकेले चलते हुए देखा तो उसकी बाछे खिल उठी | दूसरे दिन जब ऊँटो का दल चरकर लौट रहा था , तो घात लगाये बैठा शेर घंटी की आवाज को निशाना बनाकर दौड़ा और उस अकेले ऊँट को मारकर जंगल में खीच ले गया | इस तरह उस घंटीधारी ऊँट को अपने अंहकार की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पडा | जो स्वंय को सबसे श्रेष्ठ और दुसरो को हीन समझता है , उसका अहंकार शीघ्रः ही उसे ले डूबता है |